!! वंदना !!

“ सिंहाकृति तुज मुखनी ने व्याघ्रशिल्पे बिराजतां,
अद्भूत परचा पुरीने आशातना सहुल टाल्ता,
तारक मेरा वोही – वोही भक्त एम पुकारता,
“श्री वही” पारसनाथने भावे करूं हुं वंदना...”

श्री कलिकाल कल्पतरु पार्श्वनाथाय नम:

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तीर्थ उद्धारक एवं प्रेरक

पूज्य आचार्य देव हर्षसागर सूरिश्वरजी म. सा.

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श्री वही तीर्थ का परिचय

प्राचीनता का प्रमाण

शास्त्रों के अनुसार संप्रतिराजा ने इस तीर्थ का निर्माण करवाया है| इतिहास के अज्ञात पृष्ठों की वजह से यहाँ का मंदिर कितना प्राचीन है यह अंदाज लगाना मुश्किल है, फिर भी मूर्ति की अद्भुत भव्यता, मनोहर प्राचीन शैली के शिल्प से ज्ञात होता है कि यह तीर्थ 11वीं शताब्दी से पूर्व का है जो टीले पर बना हुआ है|

श्री पार्श्वनाथ भगवान के दर्शन से उनकी भव्यता से स्वयं यात्री सिर झुका लेता है| कभी – कभी रात्रि में नृत्य संगीत के मधुर स्वरों का सुनाई देना, घंटानाद होना, मन के अरमानों की पूर्ति होना पूर्व में पौष दशमी के दिन मूलनायक के गभारे की दीवारों से केसर निकलना आदि इसी तीर्थ की प्राचीनता की साक्षी होने वाली घटना मानी जाती है|

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Shri Vahi Parshwanath Teerth



Presiding Deity and Location :

Shri Vahi Parshwanath Bhagwan seated in a lotus posture in black colour and of height 123 Cms in a shrine located in Vahi village. (Shve.)


Approach - Route :

The railway station pf Pipalya is just 5 Kms away and Mandsaur is 15 Kms away from where there is facility of auto and bus till the temple. it has a tar road till the temple.


Amenities For Jain Pilgrims :

There is a dharamshala as well as bhojanshala near the temple.


Managed By :

Shri Vahi Parshwanath Shvetambar Jain Mandir Pedhi
P.O. Vahi Parshwanath - 458 664.
Station : Pipalyamandi, Dist : Mandsaur, Madhya Pradesh
Mobile : +91-9406640103, +91-8989557689

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है ये पावन भूमि, यहाँ बार – बार आना ।
प्रभु पार्श्व के चरणों में आकर के झुक जाना ।।

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