भारत वर्ष के 108 पार्श्वनाथ तीर्थो में उल्लेखित

कलिकाल कल्पतरु श्री वही पार्श्वनाथजी भगवान

विश्व की अद्भुत प्रतिमा

वृद्ध पुरुषों द्वारा प्राप्त किंदवंती अनुसार एक गाय प्रतिदिन टीले पर आकर अपना दूध स्वयं ही वहां गिराकर चली जाती थी | मालिक को शंका होने पर उसने जानकारी ली तो उसे आश्चर्य हुआ उसने टीले पर गड्ढा खोदना प्रारम्भ किया | थोड़ा – सा गड्ढा होने पर वर्तमान मूलनायक भगवान की प्रतिमा का मस्तक भाग बाहर आया | सावधानी से खुदाई करने पर श्यामरंगी 23 वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथजी भगवान की भारत में पहली एवं अद्भुत सुबह, दोप., शाम तीन रूप में सिंह के ऊपर विराजित आठ सर्प के फनों वाली बालुरेत से निर्मित भव्य प्रतिमा नज़र आई | भाव विभोर होकर प्रतिमा को बाहर लाकर वहीं पर संप्रतिराजा ने एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया |

रमणीय स्थल

विशाल तालाब जिसमें वर्ष भर कमल के फूल खिलते है साथ ही मंदिर के शिखर एवं मैदान पर मयूरों का नृत्य मन में खुशियों के मयूर खिला देता है | प्राकृतिक सौन्दर्य और प्रदूषण रहित वातावरण में प्रभु के प्रति ऐसी आसक्ति हो जाती है कि यहाँ बार – बार आने का मन करता है |

पौष दशमी महोत्सव

इस तीर्थ पर भगवान पार्श्वनाथ के जन्म कल्याणक महोत्सव पर अट्ठम ताप के साथ मेला लगता है जिसमें करीब 8 से 10 हजार श्रद्धालु पहुँचते है और स्वामीवात्सल्य में प्रसादी ग्रहण करते है |

पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक पूजन

प्रति वर्ष चैत्र की ओलिजी एवं महिने में तीन बार पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक पूजन पढाई जाती है |

पूर्णिमा महोत्सव

वैसे तो वर्ष भर यहाँ धार्मिक गतिविधियाँ चलती है लेकिन प्रति पूर्णिमा को विशेष महोत्सव होता है जिसमें आस – पास से 500 – 700 श्रद्धालु आते है | जिनकी नवकारसी और भोजन की निःशुल्क व्यवस्था तीर्थ पेढ़ी पर होती है |

जीर्णोध्दार निरंतर जारी है

श्री वही पार्श्वनाथ तीर्थ पेढ़ी ट्रस्ट बरसो से इस तीर्थ का संचालन कर रही है | पूज्य आचार्य गुरुदेव श्री हर्षसागरसूरिश्वरजी म. सा. की निश्रा में तीर्थ का जीर्णोध्दार कार्य निरंतर जारी है | पूर्व में भी 1940 – 41 में पूज्य धर्मसागरजी म. सा. की निश्रा में मंदिर का जीर्णोध्दार हुआ था |

तीर्थ पहुँच मार्ग

यह तीर्थ वर्तमान मंदसौर से 15 कि.मी. दूर महू-नीमच हाइवे से 2 कि.मी. पश्चिम में एवं खण्डवा-अजमेर रेल्वे लाइन के पिपलिया स्टेशन से 5 कि.मी. दूर है एवं केशरियाजी-उदयपुर जाने के रास्ते में यह तीर्थ स्थित है | वायु मार्ग से उदयपुर या इंदौर उतरकर यहाँ पहुँच सकते है |
अतः अनेक संघो एवं श्रीमंतो के सहयोग द्वारा तीर्थोध्दार का भागीरथ पुरुषार्थ प्रारम्भ किया जा रहा है | आशा है कि इस पुण्य कार्य में आप सभी का पूर्ण सहयोग एवं आशीर्वाद प्राप्त होगा |

श्री बही पार्श्वनाथ महातीर्थ एक प्राचीन और महान चमत्कारी तीर्थ है एक बार आने पर यहाँ बार – बार आने का मन उल्लास करता है |

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